Thursday, 23 January 2014

दिल के जख्मों को उनसे छुपाना पड़ा,

दिल के जख्मों को उनसे छुपाना पड़ा,
पलके भीगीं थी पर मुस्कुराना पड़ा,
कैसे उल्टे हैं महोब्बत के ये रिवाज?
रूठना चाहते थे पर उनको मनाना पड़ा..


Dil Ke Zhakhmo Ko Unse Chupana Pada,
Palke Bhigi Thi Par Muskurana Pada,
Kaise Ulte Hain Mobhabbat Ke Ye Riwaz ?
Ruthna Chahte The Par Unko Manana Pada.

1 comment:

  1. मैं ढाबे के ढाँचे जैसा, तुम पाँच सितार होटल हो
    मैं महुए का देसी ठर्रा, तुम ‘रेड लेबल’ की बोतल हो
    तुम चित्रहार का मधुर गीत, मै कृषि दर्शन की झाड़ी हूँ
    तुम विश्व सुन्दरी सी कमाल, मैं तेलिया छाप कबाड़ी हूँ
    तुम सोनी का मोबाइल हो, मैं टेलीफोन वाला चोगा
    तुम मछली मनसरोवर की, मैं हूँ सागर तट का घोंघा

    http://www.1sms4u.blogspot.in/search/label/Love%20sms

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Sad Shayari, Pehli Mohabbat Ka Anzaam

  हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है, कभी सुबह कभी शाम याद आता है, जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत, फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।...