Tuesday, 11 February 2014

मुझे उससे कोई शिकायत ही नही,

मुझे उससे कोई शिकायत ही नही,
शायद हमारी किसमत मे चाहत ही नही,
मेरी तकदीर को लिखकर खुदा भी मुक्कर गया,
पुछा तो बोला ये मेरी लिखावट ही नही..
Mujhe Usse Koi Shikayat Hi Nahi,
Shayad Hamari Kismat Me Chahat Hi Nahi.
Meri Taqdir Ko Likhkar Khuda Bhi Mukar Gya,
Puchha To Bola Ye Meri Likhawat Hi Nahi

No comments:

Post a Comment

Sad Shayari, Pehli Mohabbat Ka Anzaam

  हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है, कभी सुबह कभी शाम याद आता है, जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत, फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।...