होते ही सवेरा चिड़िया चहकीं,
फूल खिले और कलियाँ महकीं,
गुन -गुन करता भौरा आया,
भोर का उसने गीत सुनाया.
पंख फैलाये तितली उड़ती,
इधर, कभी उधर को मुड़ती.
नींद में खोई दुनिया जागी,
रोज के अपने काम को भागी.
देर तलक कुछ लोग हैं सोते,
सुबह का सुन्दर दृश्य हैं खोते.
ठंडी ठंडी पवन बहे जो,
स्वस्थ्य रहोगे यही कहे वो.
ताज़ी -ताज़ी सांस भरो तुम,
अब न आलस और करो तुम
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