Thursday, 6 March 2014

ना जाने क्यों वो हमसे मुस्कुरा के मिलते हैं,

ना जाने क्यों वो हमसे मुस्कुरा के मिलते हैं,
  अन्दर के सारे गम छुपा के मिलते हैं,
जानते हैं आँखे सच बोल जाती हैं,
  शायद इसी लिए वो नज़र झुका के मिलतें हैं

Najane Q wo humse Muskura k milte hai
  Andar k sare gham chupa k milte hai..
Janti h Aankhe sach bol jati hai
  Sayad isliye wo Nazar Jhuka k milte hai

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