Monday, 7 April 2014

दिल ही दिल में कुछ छुपाती है वो,

दिल ही दिल में कुछ छुपाती है वो,
 यादों में आ कर चैन चुराती है वो,
ख्वाबों में एक ऐहसास जगा रखा है,
 बन्द आँखों में अश्क बन के तडपाती है वो..
Dil hi dil me kuch chupati hai wo,
 Yaado me aakar chain churati hai wo,
Khwabo me ik ehsas jaga rakha hai,
 Band aankho me ashk banke tadpati hai wo…

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