Saturday, 5 April 2014

पुराने रिवाजों कों अब कौन जिन्दा रखता है

पुराने रिवाजों कों अब कौन जिन्दा रखता है
खोटे सिक्कों का हिसाब अब कौन रखता है ,
कुछ लोंग भी होते हों खोटे सिक्कों कि तरह ,
भला उन्हें अपने बटुए की पनाह में अब कौन रखता है

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